ब्रह्मसूत्रभाष्यम् | Sarvamoola Grantha — Acharya Srimadanandatirtha

ब्रह्मसूत्रभाष्यम् - सूत्राणि

  1. ॐ अक्षरमम्बरान्तधृतेः ॐ ॥ 10-73 ॥
  2. ॐ अत एव च नित्यत्वम् ॐ ॥ 29-92 ॥
  3. ॐ अत एव न देवता भूतं च ॐ ॥ 27-58॥
  4. ॐ अत एव प्राणः ॐ ॥ 23-23 ॥
  5. ॐ अत्ताचराचरग्रहणात् ॐ ॥ 09-40 ॥
  6. ॐ अदृश्यत्वादिगुणको धर्मोक्तेः ॐ ॥ 21-52 ॥
  7. ॐ अनवस्थितेरसम्भवाच्च नेतरः ॐ ॥ 17-48 ॥
  8. ॐ अनुकृतेस्तस्य च ॐ ॥ 22-85 ॥
  9. ॐ अनुपपत्तेस्तुन शारीरः ॐ ॥ 03-34 ॥
  10. ॐ अनुस्मृतेर्बादरिः ॐ ॥ 30-61 ॥
  11. ॐ अन्तर उपपत्तेः ॐ ॥ 13-44 ॥
  12. ॐ अन्तर्याम्यधिदैवादिषु तद्धर्मव्यपदेशात् ॐ ॥ 18-49 ॥
  13. ॐ अन्तस्तद्धर्मोपदेशात् ॐ ॥ 20-20 ॥
  14. ॐ अन्यभावव्यावृत्तेश्च ॐ ॥ 12-75 ॥
  15. ॐ अन्यार्थं तु जैमिनिः प्रश्नव्याख्यानाभ्यामपि चैवमेके ॐ ॥ 19-125 ॥
  16. ॐ अन्यार्थश्च परामर्शः ॐ ॥ 20-83 ॥
  17. ॐ अभिध्योपदेशाच्च ॐ ॥ 25-131 ॥
  18. ॐ अभिव्यक्तेरित्याश्मरथ्यः ॐ ॥ 29-60 ॥
  19. ॐ अर्भकौकस्त्वात् तद्व्यपदेशाच्च नेति चेन्न निचाय्यत्वादेवं व्योमवच्च ॐ ॥07-38 ॥
  20. ॐ अल्पश्रुतेरिति चेत् तदुक्तम् ॐ ॥ 21-84 ॥
  21. ॐ अवस्थितेरिति काशकृत्स्नः ॐ ॥ 23-129 ॥
  22. ॐ अस्मिन्नस्य च तद्योगं शास्ति ॐ ॥ 19-19 ॥
  23. ॐ आकाशस्तल्लिङ्गात् ॐ ॥ 22-22 ॥
  24. ॐ आकाशोऽर्थान्तरत्वादिव्यपदेशात् ॐ ॥ 41-104 ॥
  25. ॐ आत्मकृतेः परिणामात् ॐ ॥ 27-133 ॥
  26. ॐ आनन्दमयोऽभ्यासात् ॐ ॥ 12-12 ॥
  27. ॐ आनुमानिकमप्येकेषामिति चेन्न शरीररूपकविन्यस्तगृहीतेर्दशर्यति च ॐ ॥ 01-107 ॥
  28. ॐ आपि स्मर्यते ॐ ॥ 23-86 ॥
  29. ॐ आमनन्ति चैनमस्मिन् ॐ ॥ 32-63 ॥
  30. ॐ इतरपरामर्शात् स इति चेन्नासम्भवात् ॐ ॥ 18-81 ॥
  31. ॐ ईक्षतिकर्मव्यपदेशात् सः ॐ ॥ 13-76 ॥
  32. ॐ ईक्षतेर्नाशब्दम् ॐ ॥ 05-05 ॥
  33. ॐ उत्क्रमिष्यत एवम्भावादित्यौडुलोमिः ॐ ॥ 22-128 ॥
  34. ॐ उत्तराच्चेदाविर्भूतस्वरूपस्तु ॐ ॥ 19-82 ॥
  35. ॐ उपदेशभेदान्नेति चेन्नोभयस्मिन्नप्यविरोधात् ॐ ॥ 27-27॥
  36. ॐ एतेन सर्वे व्याख्याता व्याख्याताः ॐ ॥ 29-135 ॥
  37. ॐ कम्पनात् ॐ ॥ 39-102 ॥
  38. ॐ कर्मकर्तृव्यपदेशाच्च ॐ ॥ 04-35 ॥
  39. ॐ कल्पनोपदेशाच्च मध्वादिवदविरोधः ॐ ॥ 11-117 ॥
  40. ॐ कामाच्च नानुमानापेक्षा ॐ ॥ 18-18 ॥
  41. ॐ कारणत्वेन चाकाशादिषु यथाव्यपदिष्टोक्तेः ॐ ॥ 15-121 ॥
  42. ॐ क्षत्रियत्वावगतेश्चोत्तरत्र चैत्ररथेन लिङ्गात् ॐ ॥ 35-98 ॥
  43. ॐ गतिशब्दाभ्यां तथा हि दृष्टं लिङ्गं च ॐ ॥ 15-78 ॥
  44. ॐ गतिसामान्यात् ॐ ॥ 10-10 ॥
  45. ॐ गुहां प्रविष्टावात्मानौ हि तद्दर्शनात् ॐ ॥ 11-42 ॥
  46. ॐ गौणश्चेन्नात्मशब्दात् ॐ ॥ 06-06 ॥
  47. ॐ चमसवदविशेषात् ॐ ॥ 09-115 ॥
  48. ॐ छन्दोऽभिधानान्नेति चेन्न तथा चेतोऽर्पणनिगदात् तथा हि दर्शनम् ॐ॥ 25-25 ॥
  49. ॐ जगद्वाचित्वात् ॐ ॥ 17-123 ॥
  50. ॐ जन्माद्यस्य यतः ॐ ॥ 02-02 ॥
  51. ॐ जीवमुख्यप्राणलिङ्गादिति चेत् तद्व्याख्यातम् ॐ ॥ 18-124 ॥
  52. ॐ जीवमुख्यप्राणलिङ्गान्नेति चेन्नोपासात्रैविध्यादाश्रितत्वादिह तद्योगात् ॐ ॥ 31-31 ॥
  53. ॐ ज्ञेयत्वावचनाच्च ॐ ॥ 04-110 ॥
  54. ॐ ज्योतिरुपक्रमात् तु तथा ह्यधीयत एके ॐ॥ 10-116 ॥
  55. ॐ ज्योतिर्दर्शनात् ॐ ॥ 40-103 ॥
  56. ॐ ज्योतिश्चरणाभिधानात् ॐ ॥ 24-24 ॥
  57. ॐ ज्योतिषि भावाच्च ॐ ॥ 32-95॥
  58. ॐ ज्योतिषैकेषामसत्यन्ने ॐ ॥ 14-120 ॥
  59. ॐ तत्तु समन्वयात् ॐ ॥ 04-04 ॥
  60. ॐ तदधीनत्वादर्थवत् ॐ ॥ 03-109 ॥
  61. ॐ तदभावनिर्धारणे च प्रवृत्तेः ॐ ॥ 37-100 ॥
  62. ॐ तदुपर्यपि बादरायणः सम्भवात् ॐ ॥ 26-89 ॥
  63. ॐ तद्धेतुव्यपदेशाच्च ॐ ॥ 14-14 ॥
  64. ॐ तन्निष्ठस्य मोक्षोपदेशात् ॐ ॥ 07-07 ॥
  65. ॐ त्रयाणामेव चैवमुपन्यासः प्रश्नश्च ॐ ॥ 07-113 ॥
  66. ॐ दहर उत्तरेभ्यः ॐ ॥ 14-77 ॥
  67. ॐ द्युभ्वाद्यायतनं स्वशब्दात् ॐ ॥ 01-64 ॥
  68. ॐ धर्मोपपत्तेश्च ॐ ॥ 09-72 ॥
  69. ॐ धृतेश्च महिम्नोऽस्यास्मिन्नुपलब्धेः ॐ ॥ 16-79 ॥
  70. ॐ न च स्मार्तमतद्धर्माभिलापात् ॐ ॥ 19-50 ॥
  71. ॐ न वक्तुरात्मोपदेशादिति चेदध्यात्मसम्भन्धभूमा ह्यस्मिन् ॐ ॥ 29-29 ॥
  72. ॐ न सङ्ख्योपसङ्ग्रहादपि नानाभावादतिरेकाच्च ॐ॥ 12-118 ॥
  73. ॐ नानुमानमतच्छब्दात् ॐ ॥ 03-66 ॥
  74. ॐ नेतरोऽनुपपत्तेः ॐ ॥ 16-16 ॥
  75. ॐ पत्यादिशब्देभ्यः ॐ ॥ 43-106 ॥
  76. ॐ प्रकरणाच्च ॐ ॥ 10-41 ॥
  77. ॐ प्रकरणात् ॐ ॥ 06-112 ॥
  78. ॐ प्रकरणात् ॐ ॥ 06-69 ॥
  79. ॐ प्रकृतिश्च प्रतिज्ञादृष्टान्तानुपरोधात् ॐ ॥ 24-130 ॥
  80. ॐ प्रतिज्ञासिद्धेर्लिङ्गमाश्मरथ्यः ॐ ॥ 21-127 ॥
  81. ॐ प्रसिद्धेश्च ॐ ॥ 17-80 ॥
  82. ॐ प्राणभृच्च ॐ ॥ 04-67 ॥
  83. ॐ प्राणस्तथाऽनुगमात् ॐ ॥ 28-28 ॥
  84. ॐ प्राणादयो वाक्यशेषात् ॐ ॥ 13-119 ॥
  85. ॐ भावं तु बादरायणोऽस्ति हि ॐ ॥33-96॥
  86. ॐ भूतादिपादव्यपदेशोपपत्तेश्चैवम् ॐ ॥ 26-26 ॥
  87. ॐ भूमा सम्प्रसादादध्युपदेशात् ॐ ॥ 08-71 ॥
  88. ॐ भेदव्यपदेशाच्च ॐ ॥ 17-17 ॥
  89. ॐ भेदव्यपदेशाच्चान्यः ॐ ॥ 21-21 ॥
  90. ॐ भेदव्यपदेशात् ॐ ॥ 05-68 ॥
  91. ॐ मध्वादिष्वसम्भवादनधिकारं जैमिनिः ॐ ॥ 31-94॥
  92. ॐ महद्वच्च ॐ ॥ 08-114 ॥
  93. ॐ मान्त्रवर्णिकमेव च गीयते ॐ ॥ 15-15 ॥
  94. ॐ मुक्तोपसृप्यव्यपदेशात् ॐ ॥ 02-65 ॥
  95. ॐ योनिश्च हि गीयते ॐ ॥ 28-134 ॥
  96. ॐ रूपोपन्यासाच्च ॐ ॥ 23 ॥
  97. ॐ वदतीती चेन्न प्राज्ञो हि ॐ ॥ 05-111 ॥
  98. ॐ वाक्यान्वयात् ॐ ॥ 20-126 ॥
  99. ॐ विकारशब्दान्नेति चेन्न प्राचुर्यात् ॐ ॥ 13-13 ॥
  100. ॐ विरोधः कर्मणेति चेन्नानेकप्रतिपत्तेर्दर्शनात् ॐ॥ 27-90 ॥
  101. ॐ विवक्षितगुणोपपत्तेश्च ॐ ॥ 02-33 ॥
  102. ॐ विशेषणभेदव्यपदेशाभ्यां नेतरौ ॐ ॥ 22-53 ॥
  103. ॐ विशेषणाच्च ॐ ॥ 12-43 ॥
  104. ॐ वैश्वानरः साधारणशब्दविशेषात् ॐ ॥ 24-55॥
  105. ॐ शब्द इति चेन्नातः प्रभवात् प्रत्यक्षानुमानाभ्याम् ॐ ॥ 28-91 ॥
  106. ॐ शब्दविशेषात् ॐ ॥ 05-36 ॥
  107. ॐ शब्दादिभ्योऽन्तः प्रतिष्ठानान्नेति चेन्न तथा दृष्ट्युपदेशादसम्भवात् पुरुषविधमपि चैनमधीयते ॐ ॥ 26-57 ॥
  108. ॐ शब्दादेव प्रमितः ॐ ॥ 24-87 ॥
  109. ॐ शारीरश्चोभयेऽपि हि भेदेनैनमधीयते ॐ ॥ 20-51 ॥
  110. ॐ शास्त्रदृष्ट्यातूपदेशो वामदेववत् ॐ ॥ 30-30 ॥
  111. ॐ शास्त्रयोनित्वात् ॐ ॥ 03-03 ॥
  112. ॐ शुगस्य तदनादरश्रवणात् तदाऽऽद्रवणात् सूच्यते हि ॐ ॥34-97॥
  113. ॐ श्रवणाध्ययनार्थप्रतिषेधात् स्मृतेश्च ॐ ॥ 38-101 ॥
  114. ॐ श्रुतत्वाच्च ॐ ॥ 11-11 ॥
  115. ॐ श्रुतोपनिषत्कगत्यभिधानाच्च ॐ ॥ 16-47 ॥
  116. ॐ संस्कारपरामर्शात् तदभावाभिलापाच्च ॐ ॥ 36-99 ॥
  117. ॐ समाकर्षात् ॐ ॥ 16-122 ॥
  118. ॐ समाननामरूपत्वाच्चावृत्तावप्यविरोधो दर्शनात् स्मृतेश्च ॐ ॥ 30-93 ॥
  119. ॐ सम्पत्तेरिति जैमिनिस्तथा हि दर्शयति ॐ ॥ 31-62 ॥
  120. ॐ सम्भोगप्राप्तिरिति चेन्न वैशेष्यात् ॐ ॥ 08-39 ॥
  121. ॐ सर्वत्र प्रसिद्धोपदेशात् ॐ ॥ 01-32 ॥
  122. ॐ सा च प्रशासनात् ॐ ॥ 11-74 ॥
  123. ॐ साक्षाच्चोभयाम्नानात् ॐ ॥ 26-132 ॥
  124. ॐ साक्षादप्यविरोधं जैमिनिः ॐ ॥ 28-59 ॥
  125. ॐ सुखविशिष्टाभिधानादेव च ॐ ॥ 15-46 ॥
  126. ॐ सुषुप्त्युत्क्रान्त्योर्भेदेन ॐ ॥ 42-105 ॥
  127. ॐ सूक्ष्मं तु तदर्हत्वात् ॐ ॥ 02-108 ॥
  128. ॐ स्थानादिव्यपदेशाच्च ॐ ॥ 14-45 ॥
  129. ॐ स्थित्यदनाभ्यां च ॐ ॥ 07-70 ॥
  130. ॐ स्मर्यमाणमनुमानं स्यादिति ॐ ॥25-56॥
  131. ॐ स्मृतेश्च ॐ ॥ 06-37 ॥
  132. ॐ स्वाप्ययात् ॐ ॥ 09-09 ॥
  133. ॐ हृद्यपेक्षया तु मनुष्याधिकारत्वात् ॐ ॥ 25-88 ॥
  134. ॐ हेयत्वावचनाच्च ॐ ॥ 08-08 ॥
  135. ॐ ॐअथातो ब्रह्मजिज्ञासा ॐ ॥ 01-01 ॥
  136. ॐ अंशो नानाव्यपदेशादन्यथा चापि दाशकितवादित्वमधीयत एके ॐ ॥ 43-261 ॥
  137. ॐ अकरणत्वाच्च न दोषस्तथा हि दर्शयति ॐ ॥ 12-283 ॥
  138. ॐ अङ्गीत्वानुपपतेः ॐ ॥ 08-181 ॥
  139. ॐ अणवश्च ॐ ॥ 08-279 ॥
  140. ॐ अणुश्च ॐ ॥ 14-285 ॥
  141. ॐ अदृष्टनियमात् ॐ ॥ 51-269 ॥
  142. ॐ अधिकं तु भेदनिर्देशात् ॐ ॥ 23-158 ॥
  143. ॐ अधिष्ठानानुपपत्तेश्च ॐ ॥ 39-212 ॥
  144. ॐ अनुज्ञापरिहारौ देहसम्बन्धाज्ज्योतिरादिवत् ॐ ॥ 48-266 ॥
  145. ॐ अनुस्मृतेश्च ॐ ॥ 25-198 ॥
  146. ॐ अन्तरा विज्ञानमनसी क्रमेण तल्लिङ्गादिति चेन्नाविशेषात् ॐ ॥ 15-233 ॥
  147. ॐ अन्तवत्त्वमसर्वज्ञता वा ॐ ॥ 41-214 ॥
  148. ॐ अन्त्यावस्थितेश्चोभयनित्यत्वादविशेषात् ॐ ॥ 36-209 ॥
  149. ॐ अन्यत्राभावाच्च न तृणादिवत् ॐ॥ 05-178 ॥
  150. ॐ अन्यथाऽनुमितौ च ज्ञशक्तिवियोगात् ॐ ॥ 09-182 ॥
  151. ॐ अपरिग्रहाच्चात्यन्तमनपेक्षा ॐ ॥ 17-190 ॥
  152. ॐ अपि स्मर्यते ॐ ॥ 45-263 ॥
  153. ॐ अपीतौ तद्वत्प्रसङ्गादसमञ्जसम् ॐ ॥ 09-144 ॥
  154. ॐ अभिमानिव्यपदेशस्तु विशेषानुगतिभ्याम् ॐ ॥ 06-141 ॥
  155. ॐ अभिसन्ध्यादिष्वपि चैवम् ॐ ॥ 52-270 ॥
  156. ॐ अभ्युपगमेऽप्यर्थाभावात् ॐ ॥ 06-179 ॥
  157. ॐ अवस्थितिवैशेष्यादिति चेन्नाभ्युपगमाद्धृदि हि ॐ ॥ 25-243 ॥
  158. ॐ अविरोधश्चन्दनवत् ॐ ॥ 24-242 ॥
  159. ॐ अश्मादिवच्च तदनुपपत्तिः ॐ ॥ 24-159 ॥
  160. ॐ असति प्रतिज्ञोपरोधो यौगपद्यमन्यथा ॐ ॥ 21-194 ॥
  161. ॐ असदिति चेन्न प्रतिषेधमात्रत्वात् ॐ ॥ 08-143 ॥
  162. ॐ असद्व्यपदेशान्नेति चेन्न धर्मान्तरेण वाक्यशेषात् ॐ ॥ 18-153॥
  163. ॐ असन्ततेश्चाव्यतिकरः ॐ ॥ 49-267 ॥
  164. ॐ असम्भवस्तु सतोऽनुपपत्तेः ॐ ॥ 09-227 ॥
  165. ॐ अस्तितु ॐ ॥ 02-220 ॥
  166. ॐ आकाशे चाविशेषात् ॐ ॥ 24-197 ॥
  167. ॐ आत्मनि चैवं विचित्राश्च हि ॐ ॥ 29-164 ॥
  168. ॐ आपः ॐ ॥ 11-229 ॥
  169. ॐ आभास एव च ॐ ॥ 50-268 ॥
  170. ॐ इतरव्यपदेशाद्धिताकरणादिदोषप्रसक्तिः ॐ ॥ 22-157 ॥
  171. ॐ इतरेतरप्रत्ययात्वादिति चेन्न उत्पत्तिमात्रनिमित्तत्वात् ॐ ॥ 19-192 ॥
  172. ॐ इतरेषां चानुपलब्धेः ॐ ॥ 02-137 ॥
  173. ॐ उत्क्रान्तिगत्यागतीनाम् ॐ ॥ 20-238 ॥
  174. ॐ उत्तरोत्पादे च पूर्वनिरोधात् ॐ ॥ 20-193 ॥
  175. ॐ उत्पत्यसम्भवात् ॐ ॥ 42-215 ॥
  176. ॐ उदासीनानामपि चैवं सिद्धिः ॐ ॥ 27-200 ॥
  177. ॐ उपपद्यते चाप्युपलभ्यते च ॐ॥ 37-172 ॥
  178. ॐ उपलब्धिवदनियमः ॐ ॥ 37-255 ॥
  179. ॐ उपसंहारदर्शनान्नेति चेन्न क्षीरवद्धि ॐ ॥ 25-160 ॥
  180. ॐ उपादानात् ॐ ॥ 35-253 ॥
  181. ॐ उभयथा च दोषात् ॐ ॥ 16-189 ॥
  182. ॐ उभयथा च दोषात् ॐ ॥ 23-196 ॥
  183. ॐ उभयथाऽपि न कर्मातस्तदभावः ॐ ॥ 12-185 ॥
  184. ॐ एतेन मातरिश्वा व्याख्यातः ॐ ॥ 08-226 ॥
  185. ॐ एतेन योगः प्रत्युक्तः ॐ ॥ 03-138 ॥
  186. ॐ एतेन शिष्टापरिग्रहा अपि व्याख्याताः ॐ ॥ 13-148 ॥
  187. ॐ एवञ्चात्माकार्त्स्न्यम् ॐ ॥ 34-207 ॥
  188. ॐ करणवच्चेन्न भोगादिभ्यः ॐ ॥ 40-213 ॥
  189. ॐ कर्ता शास्त्रार्थवत्त्वात् ॐ ॥ 33-251 ॥
  190. ॐ कृतप्रयत्नापेक्षस्तुविहितप्रतिषेधावैयर्थ्यादिभ्यः ॐ ॥ 42-260 ॥
  191. ॐ कृत्स्नप्रसक्तिर्निरवयवत्वशब्दकोपो वा ॐ ॥ 27-162 ॥
  192. ॐ क्षणिकत्वाच्च ॐ ॥ 31-204 ॥
  193. ॐ गुणाद्वाऽऽलोकवत् ॐ ॥ 26-244 ॥
  194. ॐ गौण्यसम्भवात् ॐ ॥ 02-273 ॥
  195. ॐ गौण्यसम्भवात् ॐ ॥ 03-221 ॥
  196. ॐ चक्षुरादिवत् तु तत्सहशिष्ट्यादिभ्यः ॐ ॥ 11-282 ॥
  197. ॐ चराचरव्यपाश्रयस्तु स्यात् तद्व्यपदेशो भाक्तस्तद्भावभावित्वात् ॐ ॥ 16-234 ॥
  198. ॐ ज्ञोऽत एव ॐ ॥ 18-236 ॥
  199. ॐ ज्योतिराद्यधिष्ठानं तु तदामननात् ॐ ॥ 15-286 ॥
  200. ॐ त इन्द्रियाण् तद्व्यपदेशादन्यत्र श्रेष्ठात् ॐ ॥ 18-289 ॥
  201. ॐ तत् प्राक्ष्रुतेश्च ॐ ॥ 04-275 ॥
  202. ॐ तत्पूर्वकत्वाद्वाचः ॐ॥ 05-276 ॥
  203. ॐ तथा प्राणाः ॐ ॥ 01-272 ॥
  204. ॐ तदनन्यत्वमारम्भणशब्दादिभ्यः ॐ ॥ 15-150 ॥
  205. ॐ तदभिध्यानादेव तु तल्लिङ्गात् सः ॐ ॥ 13-231 ॥
  206. ॐ तद्गुणसारत्वात् तु तद्व्यपदेशः प्राज्ञवत् ॐ ॥ 29-247 ॥
  207. ॐ तर्काप्रतिष्ठानादप्यन्यथाऽनुमेयमिति चेदेवमप्यनिर्मोक्षप्रसङ्गः ॐ॥ 12-147 ॥
  208. ॐ तस्य च नित्यत्वात् ॐ ॥ 17-288 ॥
  209. ॐ तेजोऽतस्तथा ह्याह ॐ ॥ 10-228 ॥
  210. ॐ दृश्यते च ॐ ॥ 07-142 ॥
  211. ॐ दृश्यते तु ॐ ॥ 05-140 ॥
  212. ॐ देवादिवदपि लोके ॐ ॥ 26-161 ॥
  213. ॐ न कर्माविभागादिति चेन्नानादित्वात् ॐ ॥ 36-171 ॥
  214. ॐ न च कर्तुः करणम् ॐ ॥ 43-216 ॥
  215. ॐ न च पर्यायादप्यविरोधो विकारादिभ्यः ॥ 35-208 ॥
  216. ॐ न तु दृष्टान्तभावात् ॐ ॥ 10-145 ॥
  217. ॐ न प्रयोजनवत्त्वात् ॐ ॥ 33-168 ॥
  218. ॐ न भावोऽनुपलब्धेः ॐ ॥ 30-203 ॥
  219. ॐ न वायुक्रिये पृथुगुपदेशात् ॐ ॥ 10-281 ॥
  220. ॐ न वियदश्रुतेः ॥ 01-219 ॥
  221. ॐ न विलक्षणत्वादस्य तथात्वं च शब्दात् ॐ ॥ 04-139 ॥
  222. ॐ नाणुरतच्छ्रुतेरिति चेन्नेतराधिकारात् ॐ ॥ 22-240 ॥
  223. ॐ नात्माऽश्रुतेर्नित्यत्वाच्च ताभ्यः ॐ ॥ 17-235 ॥
  224. ॐ नाभाव उपलब्धेः ॐ ॥ 28-201 ॥
  225. ॐ नासतोऽदृष्टत्वात् ॐ ॥ 26-199 ॥
  226. ॐ नित्यमेव च भावात् ॐ ॥ 14-187 ॥
  227. ॐ नित्योपलब्ध्यनुपलब्धिप्रसङ्गोऽन्यतरनियमो वाऽन्यथा ॐ ॥ 32-250 ॥
  228. ॐ नैकस्मिन्नसम्भवात् ॐ ॥ 33-206 ॥
  229. ॐ पञ्चवृत्तिर्मनोवद्व्यपदिश्यते ॐ ॥ 13-284 ॥
  230. ॐ पटवच्च ॐ ॥ 20-155 ॥
  231. ॐ पत्युरसामञ्जस्यात् ॐ ॥ 37-210 ॥
  232. ॐ पयोऽम्बुवच्चेत् तत्रापि ॐ ॥ 03-176 ॥
  233. ॐ परात् तु तच्छ्रुतेः ॐ ॥ 41-259 ॥
  234. ॐ पुंस्त्वादिवत्त्वस्यसतोऽभिव्यक्तियोगात् ॐ ॥ 31-249 ॥
  235. ॐ पुरुषाश्मवदिति चेत् तथाऽपि ॐ ॥ 07-180 ॥
  236. ॐ पृथगुपदेशात् ॐ ॥ 28-246 ॥
  237. ॐ पृथिव्यधिकाररूपशब्दान्तरादिभ्यः ॐ ॥ 12-230 ॥
  238. ॐ प्रकाशादिवन्नैवं परः ॐ ॥ 46-264 ॥
  239. ॐ प्रतिज्ञानुपरोधाच्च ॐ ॥ 03-274 ॥
  240. ॐ प्रतिज्ञाहानिरव्यतिरेकाच्छब्देभ्यः ॐ ॥ 06-224 ॥
  241. ॐ प्रतिसङ्ख्याऽप्रतिसङ्ख्यानिरोधप्राप्तिरविच्छेदात् ॐ ॥ 22 -195 ॥
  242. ॐ प्रदेशादिति चेन्नान्तर्भावात् ॐ ॥ 53-271 ॥
  243. ॐ प्रवृत्तेश्च ॐ ॥ 02-175 ॥
  244. ॐ प्राणवता शब्दात् ॐ ॥ 16-287 ॥
  245. ॐ भावे चोपलब्देः ॐ ॥ 16-151 ॥
  246. ॐ भेदश्रुतेः ॐ ॥ 19-290 ॥
  247. ॐ भोक्त्रापत्तेरविभागश्चेत् स्याल्लोकवत् ॐ ॥ 14-149 ॥
  248. ॐ मन्त्रवर्णात् ॐ ॥ 44-262 ॥
  249. ॐ महद्दीर्घवद्वा ह्रस्वपरिमण्डलाभ्याम् ॐ ॥ 11-184 ॥
  250. ॐ मांसादि भौमं यथाशब्दमितरयोश्च ॐ ॥ 22-293 ॥
  251. ॐ यथा च तक्षोभयथा ॐ ॥ 40-258 ॥
  252. ॐ यथा प्राणादिः ॐ ॥ 21-156 ॥
  253. ॐ यावदात्माभावित्वाच्च न दोषस्तद्दर्शनात् ॐ ॥ 30-248 ॥
  254. ॐ यावद्विकारं तु विभागो लोकवत् ॐ ॥ 07-225 ॥
  255. ॐ युक्तेः शब्दान्तराच्च ॐ ॥ 19-154 ॥
  256. ॐ युक्तेश्च ॐ ॥ 19-237 ॥
  257. ॐ रचनानुपपत्तेश्च नानुमानम् ॐ ॥ 01-174 ॥
  258. ॐ रूपादिमत्त्वाच्चविपर्ययो दर्शनात् ॐ ॥ 15-188 ॥
  259. ॐ लोकवत्तुलीलाकैवल्यम् ॐ ॥ 34-169 ॥
  260. ॐ विकरणत्वान्नेति चेत् तदुक्तम् ॐ ॥ 32-167 ॥
  261. ॐ विज्ञानादिभावे वा तदप्रतिषेधः ॐ ॥ 44-217 ॥
  262. ॐ विपर्ययेण तु क्रमोऽत उपपद्यते च ॐ ॥ 14-232 ॥
  263. ॐ विप्रतिषेधाच्च ॐ ॥ 45-218 ॥
  264. ॐ विप्रतिषेधाच्चासमञ्जसम् ॐ ॥ 10-183 ॥
  265. ॐ विहारोपदेशात् ॐ ॥ 34-252 ॥
  266. ॐ वैधर्म्याच्च न स्वप्नादिवत् ॐ ॥ 29-202 ॥
  267. ॐ वैलक्षण्याच्च ॐ ॥ 20-291 ॥
  268. ॐ वैशेष्यात् तु तद्वादस्तद्वादः ॐ ॥ 23-294 ॥
  269. ॐ वैषम्यनैर्घृण्ये न सापेक्षत्वात् तथा हि दर्शयति ॐ ॥ 35-170॥
  270. ॐ व्यतिरेकानवस्थितेश्चानपेक्षत्वात् ॐ ॥ 04-177 ॥
  271. ॐ व्यतिरेको गन्धवत् तथा च दर्शयति ॐ ॥ 27-245 ॥
  272. ॐ व्यपदेशाच्च क्रियायां न चेन्निर्देशविपर्ययः ॐ ॥ 36-254 ॥
  273. ॐ शक्तिविपर्ययात् ॐ ॥ 38-256 ॥
  274. ॐ शब्दाच्च ॐ ॥ 04-222 ॥
  275. ॐ श्रुतेस्तुशब्दमूलत्वात् ॐ ॥ 28-163 ॥
  276. ॐ श्रेष्ठश्च ॐ ॥ 09-280 ॥
  277. ॐ सङ्ज्ञामूर्तिक्लृप्तिस्तुत्रि वृत्कुर्वत उपदेशात् ॐ॥ 21-292 ॥
  278. ॐ सत्वाच्चावरस्य ॐ ॥ 17-152 ॥
  279. ॐ सप्तगतेर्विशेषितत्वाच्च ॐ ॥ 06-277 ॥
  280. ॐ समवायाभ्युपगमाच्च साम्यादनवस्थितेः ॐ ॥ 13-186 ॥
  281. ॐ समाध्यभावाच्च ॐ ॥ 39-257॥
  282. ॐ समुदाय उभयहेतुकेऽपि तदप्राप्तिः ॐ ॥ 18-191 ॥
  283. ॐ सम्बन्धानुपपत्तेश्च ॐ ॥ 38-211 ॥
  284. ॐ सर्वथाऽनुपपत्तेश्च ॐ ॥ 32-205 ॥
  285. ॐ सर्वधर्मोपपत्तेश्च ॐ ॥ 38-173 ॥
  286. ॐ सर्वोपेता च तद्दर्शनात् ॐ ॥ 31-166 ॥
  287. ॐ स्मरन्ति च ॐ ॥ 47-265 ॥
  288. ॐ स्मृत्यनवकाशदोषप्रसङ्ग इति चेन्नान्यस्मृत्यनवकाशदोषप्रसङ्गात् ॐ॥ 01-136 ॥
  289. ॐ स्याच्चैकस्य ब्रह्मशब्दवत् ॐ ॥ 05-223 ॥
  290. ॐ स्वपक्षदोषाच्च ॐ ॥ 11-146 ॥
  291. ॐ स्वपक्षदोषाच्च ॐ ॥ 30-165 ॥
  292. ॐ स्वशब्दोन्मानाभ्यां च ॐ ॥ 23-241 ॥
  293. ॐ स्वात्मना चोत्तरयोः ॐ ॥ 21-239 ॥
  294. ॐ हस्तादयस्तुस्थितेऽतो नैवम् ॐ ॥ 07-278 ॥
  295. ॐ अक्षरधियां त्वविरोधः सामान्यतद्भावाभ्यामौपसदवत् तदुक्तम् ॐ ॥34-99 ॥
  296. ॐ अग्न्यादिगतिश्रुतेरिति चेन्न भाक्तत्वात् ॐ ॥ 04-298 ॥
  297. ॐ अङ्गावबद्धास्तुन शाखासु हि प्रतिवेदनम् ॐ ॥ 57-422 ॥
  298. ॐ अङ्गेषु यथाऽऽश्रयाभावः ॐ ॥ 63-428 ॥
  299. ॐ अत एव चाग्नीन्धनाद्यनपेक्षा ॐ ॥ 25-458 ॥
  300. ॐ अत एव चोपमा सूर्यकादिवत् ॐ ॥ 18-341 ॥
  301. ॐ अतः प्रभोधोऽस्मात् ॐ ॥ 08-331 ॥
  302. ॐ अतस्त्वितरज्ज्यायोलिङ्गाच्च ॐ ॥ 39-472 ॥
  303. ॐ अतिदेशाच्च ॐ ॥ 47-412 ॥
  304. ॐ अतोऽनन्तेन तथा हि लिङ्गम् ॐ ॥ 27-350 ॥
  305. ॐ अधिकोपदेशात् तु बादरायणस्यैवं तद्दर्शनात् ॐ ॥ 08-441॥
  306. ॐ अध्ययनमात्रवतः ॐ ॥ 12-445 ॥
  307. ॐ अनभिभवं च दर्शयति ॐ ॥ 35-468 ॥
  308. ॐ अनाविष्कुर्वन्नन्वयात् ॐ ॥ 49-482 ॥
  309. ॐ अनियमः सर्वेषामविरोधाच्छब्दानुमानाभ्याम् ॐ ॥ 32-397 ॥
  310. ॐ अनिष्टादिकारिणामपि च श्रुतम् ॐ ॥ 13-307 ॥
  311. ॐ अनुबन्धादिभ्यः ॐ ॥ 51-416 ॥
  312. ॐ अनुष्ठेयं बादरायणः साम्यश्रुतेः ॐ ॥ 19-452 ॥
  313. ॐ अनेन सर्वगतत्वमायामयशब्दादिभ्यः ॐ ॥ 38-361 ॥
  314. ॐ अन्तरा चापि तु तद्दृष्टेः ॐ ॥ 36-469 ॥
  315. ॐ अन्तरा भूतग्रामवदिति चेत् तदुक्तम् ॐ ॥ 36-401 ॥
  316. ॐ अन्यथा भेदानुपपत्तिरिति चेन्नोपदेशवत् ॐ ॥ 37-402 ॥
  317. ॐ अन्यथात्वं शब्दादिति चेन्नाविशेषात् ॐ ॥ 07-372 ॥
  318. ॐ अन्याधिष्ठिते पूर्ववदभिलापात् ॐ ॥ 26-320 ॥
  319. ॐ अन्वयादिति चेत् स्यादवधारणात् ॐ ॥ 18-383 ॥
  320. ॐ अपि चैवमेके ॐ ॥ 13-336 ॥
  321. ॐ अपि संराधने प्रत्यक्षानुमानाभ्याम् ॐ ॥ 24-347 ॥
  322. ॐ अपि सप्त ॐ ॥ 16-310 ॥
  323. ॐ अपि स्मर्यते ॐ ॥ 30-463 ॥
  324. ॐ अपि स्मर्यते ॐ ॥ 37-470 ॥
  325. ॐ अबाधाच्च ॐ ॥ 29-462 ॥
  326. ॐ अम्बुवदग्रहणात् तु न तथात्वम् ॐ ॥ 19-342 ॥
  327. ॐ अरूपवदेव हि तत्प्रधानत्वात् ॐ ॥ 14-337 ॥
  328. ॐ अशुद्धमिति चेन्न शब्दात् ॐ ॥ 27-321 ॥
  329. ॐ अश्रुतत्वादिति चेन्नेष्टादिकारिणं प्रतीतेः ॐ ॥ 06-300 ॥
  330. ॐ असार्वत्रिकी ॐ ॥ 10-443 ॥
  331. ॐ आचारदर्शनात् ॐ ॥ 03-436 ॥
  332. ॐ आत्मगृहीतिरितवदुत्तरात् ॐ ॥ 17-382 ॥
  333. ॐ आत्मशब्दाच्च ॐ ॥ 16-381 ॥
  334. ॐ आदरादलोपः ॐ ॥ 41-406 ॥
  335. ॐ आध्यानाय प्रयोजनाभावात् ॐ ॥ 15-380 ॥
  336. ॐ आनन्दादयः प्रधानस्य ॐ ॥ 12-377 ॥
  337. ॐ आनर्थक्यमिति चेन्न तदपेक्षत्वात् ॐ ॥ 11-305 ॥
  338. ॐ आर्त्विज्यमित्यौडुलोमिस्तस्मै हि परिक्रियते ॐ ॥ 45-478 ॥
  339. ॐ आह च तन्मात्रम् ॐ ॥ 16-339 ॥
  340. ॐ इतरे त्वर्थसामान्यात् ॐ ॥ 14-379 ॥
  341. ॐ इयदामननात् ॐ ॥ 35-400 ॥
  342. ॐ उपपत्तेश्च ॐ ॥ 36-359 ॥
  343. ॐ उपपन्नस्तल्लक्षणार्थोपलब्धेर्लोकवत् ॐ ॥ 31-396 ॥
  344. ॐ उपपूर्वमपीत्येके भावशमनवत् तदुक्तम् ॐ ॥ 42-475 ॥
  345. ॐ उपमर्दं च ॐ ॥ 16-449 ॥
  346. ॐ उपसंहारोऽर्थाभेदाद्विधिशेषवत् समाने च ॐ ॥ 06-371 ॥
  347. ॐ उपस्थितेस्तद्वचनात् ॐ ॥ 42-407 ॥
  348. ॐ उभयव्यपदेशात् त्त्वहिकुण्डलवत् ॐ ॥ 28-351 ॥
  349. ॐ ऊर्ध्वरेतस्सु च शब्दे हि ॐ ॥ 17-450 ॥
  350. ॐ एकः आत्मनः शरीरे भावात् ॐ ॥ 55-420 ॥
  351. ॐ एवं मुक्तिफलानियमस्तदवस्थावधृतेस्तदवस्थावधृतेः ॐ ॥ 51-484 ॥
  352. ॐ ऐहिकमप्रस्तुतप्रतिबन्धे तद्दर्शनात् ॐ ॥ 50-483 ॥
  353. ॐ कामकारेण चैके ॐ ॥ 15-448 ॥
  354. ॐ कामादितरत्र तत्र चायतनादिभ्यः ॐ ॥ 40-405 ॥
  355. ॐ काम्यास्तुयथाकामं समुच्चीयेरन्न वा पूर्वहेत्वभावात् ॐ ॥ 62-427 ॥
  356. ॐ कार्याख्यानादपूर्वम् ॐ ॥ 19-384 ॥
  357. ॐ कृतात्ययेऽनुशयवान् दृष्टस्मृतिभ्याम् ॐ ॥ 08-302 ॥
  358. ॐ कृत्स्नभावात् तु गृहिणोपसंहारः ॐ ॥ 47-480 ॥
  359. ॐ गतेरर्थवत्त्वमुभयथाऽन्यथा ह विरोधः ॐ ॥ 30-395 ॥
  360. ॐ गुणसाधारण्यश्रुतेश्च ॐ ॥ 66-431 ॥
  361. ॐ चरणादिति चेन्न तदुपलक्षणार्थेति कार्ष्णाजिनिः ॐ॥ 10-304 ॥
  362. ॐ छन्दत उभयाविरोधात् ॐ ॥ 29-394 ॥
  363. ॐ तच्छ्रुतेः ॐ ॥ 04-437 ॥
  364. ॐ तत्रापि च तद्व्यापारादविरोधः ॐ ॥ 17-311 ॥
  365. ॐ तत्स्वाभाव्यापत्तिरुपपत्तेः ॐ ॥ 24-318 ॥
  366. ॐ तथा चैकवाक्योपबन्धात् ॐ ॥ 24-457 ॥
  367. ॐ तथाऽन्यत् प्रतिषेधात् ॐ ॥ 37-360 ॥
  368. ॐ तदन्तरप्रतिपत्तौरंहति सम्परिष्वक्तः प्रश्ननिरूपणाभ्याम् ॐ ॥ 01-295 ॥
  369. ॐ तदभावो नाडीषु तच्छ्रुतेरात्मनि ह ॐ ॥ 07-330 ॥
  370. ॐ तदव्यक्तमाह हि ॐ ॥ 23-346 ॥
  371. ॐ तद्भूतस्य तु तद्भावो जैमिनेरपि नियमातद्रूपाभावेभ्यः ॐ ॥ 40-473 ॥
  372. ॐ तद्वतो विधानात् ॐ ॥ 06-439 ॥
  373. ॐ तन्निर्धारणार्थनियमस्तद्दृष्टेः पृथग्ध्यप्रतिबन्धः पलम् ॐ॥43-408 ॥
  374. ॐ तुल्यम् तु दर्शनम् ॐ ॥ 09-442 ॥
  375. ॐ तृतीये शब्दावरोधः संशोकजस्य ॐ ॥ 22-316 ॥
  376. ॐ त्र्यात्मकत्वात् तु भूयस्त्वात् ॐ ॥ 02-296 ॥
  377. ॐ दर्शनाच्च ॐ ॥ 21-315 ॥
  378. ॐ दर्शनाच्च ॐ ॥ 21-344 ॥
  379. ॐ दर्शनाच्च ॐ ॥ 49-414 ॥
  380. ॐ दर्शनाच्च ॐ ॥ 68-433 ॥
  381. ॐ दर्शनात् तु ॐ ॥ 33-356 ॥
  382. ॐ दर्शयति च ॐ ॥ 05-370 ॥
  383. ॐ दर्शयति च ॐ ॥ 23-388 ॥
  384. ॐ दर्शयति चाथो अपि स्मर्यते ॐ ॥ 17-340 ॥
  385. ॐ देहयोगाद्वासोऽपि ॐ ॥ 06-329 ॥
  386. ॐ धर्मं जैमिनिरत एव ॐ ॥ 41-364 ॥
  387. ॐ न चाधिकारिकमपि पतनानुमानात् तदयोगात् ॐ ॥ 41-474 ॥
  388. ॐ न तृतीये तथोपलब्धेः ॐ ॥ 19-313 ॥
  389. ॐ न भेदादिति चेन्न प्रत्येकमतद्वचनात् ॐ॥ 12-335 ॥
  390. ॐ न वा प्रकरणभेदात् परोवरीयस्त्वादिवत् ॐ ॥ 08-373 ॥
  391. ॐ न वा विशेषात् ॐ ॥ 22-387 ॥
  392. ॐ न वाऽतत्सहभावश्रुतेः ॐ ॥ 67-432 ॥
  393. ॐ न सामान्यादप्युपलब्धेर्मृत्युवन्न हि लोकापत्तिः ॐ ॥ 53-418 ॥
  394. ॐ न स्थानतोऽपि परस्योभयलिङ्गं सर्वत्र हि ॐ ॥ 11-334 ॥
  395. ॐ नातिचिरेण विशेषात् ॐ ॥ 25-319 ॥
  396. ॐ नाना शब्दादिभेदात् ॐ ॥ 60-425 ॥
  397. ॐ नाविशेषात् ॐ ॥ 13-446 ॥
  398. ॐ नियमाच्च ॐ ॥ 07-440 ॥
  399. ॐ निर्मातारं चैके पुत्रादयश्च ॐ ॥ 02-325 ॥
  400. ॐ परमतः सेतून्मानसम्बन्धभेदव्यपदेशेभ्यः ॐ ॥ 32-355 ॥
  401. ॐ पराभिध्यानात् तु तिरोहितं ततो ह्यस्य बन्धविपर्ययौ ॐ ॥05-328॥
  402. ॐ परामर्शं जैमिनिरचोदना चापवदति हि ॐ ॥ 18-451 ॥
  403. ॐ परेण शब्दस्य ताद्विध्यं भूयस्त्वात् त्वनुबन्धः ॐ ॥ 54-419 ॥
  404. ॐ पारिप्लवार्था इति चेन्न विशेषितत्वात् ॐ ॥ 23-456 ॥
  405. ॐ पुरुषविद्यायामपि चेतरेषामनाम्नानात् ॐ ॥ 25-390 ॥
  406. ॐ पुरुषार्थोऽतः शब्दादिति बादरायणः ॐ ॥ 01-434 ॥
  407. ॐ पूर्वं तु बादरायणो हेतु व्यपदेशात् ॐ ॥ 42-365 ॥
  408. ॐ पूर्ववद्वा ॐ ॥ 30-353 ॥
  409. ॐ पूर्वविकल्पःप्रकरणात् स्यात् क्रियामानसवत् ॐ ॥ 46-411 ॥
  410. ॐ प्रकाशवच्चावैयर्थ्यम् ॐ ॥ 15-338 ॥
  411. ॐ प्रकाशवच्चावैशेष्यम् ॐ ॥ 25-348 ॥
  412. ॐ प्रकाशश्च कर्मण्यभ्यासात् ॐ ॥ 26-349 ॥
  413. ॐ प्रकाशाश्रयवद्वा तेजस्त्वात् ॐ ॥ 29-352 ॥
  414. ॐ प्रकृतैतावत्त्वं हि प्रतिषेधति ततो ब्रवीति च भूयः ॐ ॥ 22-345 ॥
  415. ॐ प्रज्ञान्तरपृथक्त्ववद्दृष्टिश्च तदुक्तम् ॐ ॥ 52-417 ॥
  416. ॐ प्रतिषेधाच्च ॐ ॥ 31-354 ॥
  417. ॐ प्रथमेऽश्रवणादिति चेन्न ता एव ह्युपपत्तेः ॐ ॥ 05-299 ॥
  418. ॐ प्रदानवदेव हि तदुक्तम् ॐ ॥ 44-409 ॥
  419. ॐ प्राणगतेश्च ॐ ॥ 03-297 ॥
  420. ॐ प्राप्तेश्च समञ्जसम् ॐ ॥ 10-375 ॥
  421. ॐ प्रियशिरस्त्वाद्यप्राप्तिरुपचयापचयौ हि भेदे ॐ ॥ 13-378 ॥
  422. ॐ फलमत उपपत्तेः ॐ ॥ 39-362 ॥
  423. ॐ बहिस्तूभयथाऽपि स्मृतेराचाराच्च ॐ ॥ 43-476 ॥
  424. ॐ बुद्ध्यर्थः पादवत् ॐ ॥ 34-357 ॥
  425. ॐ भाक्तं वाऽनात्मवित्त्वात् तथा हि दर्शयति ॐ॥ 07-301 ॥
  426. ॐ भावशब्दाच्च ॐ ॥ 22-455 ॥
  427. ॐ भूम्नःक्रतुवज्ज्यायस्त्वं तथा च दर्शयति ॐ ॥ 59-424 ॥
  428. ॐ भेदान्नेति चेदेकस्यामपि ॐ ॥ 02-367 ॥
  429. ॐ मन्त्रादिवद्वाऽविरोधः ॐ ॥ 58-423 ॥
  430. ॐ मायामात्रं तु कार्त्स्न्येनानभिव्यक्त स्वरूपत्वात् ॐ ॥03-326॥
  431. ॐ मुग्धेऽर्धसम्पत्तिः परिशेषात् ॐ ॥ 10-333 ॥
  432. ॐ मौनवदितरेषामप्युपदेशात् ॐ ॥ 48-481 ॥
  433. ॐ यथेतमनेवं च ॐ ॥ 09-303 ॥
  434. ॐ यावदधिकारमवस्थितिराधिकारिकाणाम् ॐ ॥ 33-398 ॥
  435. ॐ योनेः शरीरम् ॐ ॥ 29-323 ॥
  436. ॐ रेतःसिग्योगोऽथ ॐ ॥ 28-322 ॥
  437. ॐ लिङ्गभूयस्त्वात् तद्धि बलीयस्तदपि ॐ ॥ 45-410 ॥
  438. ॐ विकल्पो विशिष्टफलत्वात् ॐ ॥ 61-426 ॥
  439. ॐ विद्याकर्मणोरिति तु प्रकृतत्वात् ॐ ॥ 18-312 ॥
  440. ॐ विद्यैव तु निर्धारणात् ॐ ॥ 48-413 ॥
  441. ॐ विधिर्वा धारणवत् ॐ ॥ 20-453 ॥
  442. ॐ विभागः शतवत् ॐ ॥ 11-444 ॥
  443. ॐ विशेषानुग्रहं च ॐ ॥ 38-471 ॥
  444. ॐ विहितत्वाच्चाश्रमकर्मापि ॐ ॥ 32-465 ॥
  445. ॐ वृद्धिह्रासभाक्त्वमन्तर्भावादुभयसामञ्जस्यादेवम् ॐ ॥20-343॥
  446. ॐ वेधाद्यर्थभेदात् ॐ ॥ 26-391 ॥
  447. ॐ व्यतिरेकस्तद्भावभावित्वान्न तूपलब्धिवत् ॐ ॥ 56-421 ॥
  448. ॐ व्यतिहारो विशिंषन्ति हीतरवत् ॐ ॥ 38-403 ॥
  449. ॐ शब्दश्चातोऽकामचारे ॐ॥ 31-464 ॥
  450. ॐ शमदमाद्युपेतः स्यात् तथाऽपितु तद्विधेस्तदङ्गतया तेषामवश्यानुष्ठेयत्वात् ॐ ॥ 27-460 ॥
  451. ॐ शिष्टेश्च ॐ ॥ 64-429 ॥
  452. ॐ शेषत्वात् पुरुषार्थवादो यथाऽन्येष्विति जैमिनिः ॐ ॥ 02-435 ॥
  453. ॐ श्रुतत्वाच्च ॐ ॥ 40-363 ॥
  454. ॐ श्रुत्यादिबलीयास्त्वाच्च न बाधः ॐ ॥ 50-415 ॥
  455. ॐ स एव च कर्मानुस्मृतिशब्दविधिभ्यः ॐ ॥ 09-332 ॥
  456. ॐ संयमने त्वनुभूयेतरेषामारोहावरोहौ तद्गतिदर्शनात् ॐ ॥ 14-308 ॥
  457. ॐ सङ्ज्ञातश्चेत् तदुक्तमस्ति तु तदपि ॐ ॥ 09-374 ॥
  458. ॐ सन्ध्ये सृष्टिराह हि ॐ ॥ 01-324 ॥
  459. ॐ समन्वारम्भणात् ॐ ॥ 05-438 ॥
  460. ॐ समान एवं चाभेदात् ॐ ॥ 20-385 ॥
  461. ॐ समाहारात् ॐ ॥ 65-430 ॥
  462. ॐ सम्बन्धादेवमन्यत्रापि ॐ ॥ 21-386 ॥
  463. ॐ सम्भृतिद्युव्याप्तपि चातः ॐ ॥ 24-389 ॥
  464. ॐ सर्वथाऽपितु त एवोभयलिङ्गात् ॐ ॥ 34-467 ॥
  465. ॐ सर्ववेदान्तप्रत्ययाधिकरणम् चोदनाद्यविशेषात् ॐ ॥ 01-366 ॥
  466. ॐ सर्वान्नानुमतिश्च प्राणात्यये तद्दर्शनात् ॐ ॥ 28-461 ॥
  467. ॐ सर्वापेक्षा च यज्ञादिश्रुतेरश्ववत् ॐ ॥ 26-459 ॥
  468. ॐ सर्वाभेदादन्यत्रेमे ॐ ॥ 11-376 ॥
  469. ॐ सलिलवच्च तन्नियमः ॐ ॥ 04-369 ॥
  470. ॐ सहकारित्वेन च ॐ ॥ 33-466 ॥
  471. ॐ सहकार्यन्तरविधिःपक्षेण तृतीयं तद्वतो विध्यादिवत् ॐ ॥ 49-479 ॥
  472. ॐ साम्परायेतर्तव्याभावात् तथा ह्यन्ये ॐ ॥ 28-393 ॥
  473. ॐ सुकृतदुष्कृते एवेति तु बादरिः ॐ ॥ 12-306 ॥
  474. ॐ सूचकश्च हि श्रुतेराचक्षते च तद्विदः ॐ ॥ 04-327 ॥
  475. ॐ सैव हि सत्यादयः ॐ ॥ 29-404 ॥
  476. ॐ स्तुतयेऽनुमतिर्वा ॐ ॥ 14-447 ॥
  477. ॐ स्तुतिमात्रमुपादानादिति चेन्नापूर्वत्वात् ॐ ॥ 21-454 ॥
  478. ॐ स्थानविशेषात् प्रकाशादिवत् ॐ ॥ 35-358 ॥
  479. ॐ स्मरणाच्च ॐ ॥ 23-317 ॥
  480. ॐ स्मरन्ति च ॐ ॥ 15-309 ॥
  481. ॐ स्मर्यतेऽपि च लोके ॐ ॥ 20-314 ॥
  482. ॐ स्वाध्यायस्य तथात्वेन हि समाचारेऽधिकाराच्च ॐ ॥ 03-368 ॥
  483. ॐ स्वामिनः फलश्रुतेरित्यात्रेयः ॐ ॥ 44-477 ॥
  484. ॐ हानौ तूपायनशब्दशेषत्वात् कुशाछन्दस्तुत्युपगानवत् तदुक्तम् ॐ ॥27-392॥
  485. ॐ स्थितिमाह दर्शयतश्चैवं प्रत्यक्षानुमाने ॐ ॥ 21-562 ॥
  486. ॐ अग्निहोत्रादि तु तत्कार्यायैव तद्दर्शनात् ॐ ॥ 16-500 ॥
  487. ॐ अचलत्वं चापेक्ष्य ॐ ॥ 09-493 ॥
  488. ॐ अत एव च सर्वाण्यनु ॐ ॥ 02-505 ॥
  489. ॐ अत एव चानन्याधिपतिः ॐ ॥ 09-550 ॥
  490. ॐ अतश्चायनेऽपि हि दक्षिणे ॐ ॥ 21-524 ॥
  491. ॐ अतोऽन्यदपीत्येकेषामुभयोः ॐ ॥ 17-501 ॥
  492. ॐ अनारब्दकार्ये एव तु पूर्वे तदवधेः ॐ ॥ 15-499 ॥
  493. ॐ अनावृत्तिः शब्दादनावृत्तिः शब्दात् ॐ ॥ 23-564 ॥
  494. ॐ अप्रतीकालम्बनान् नयतीति बादरायण उभयथा च दोषात् तत्क्रतुश्च ॐ ॥ 15-540 ॥
  495. ॐ अभावं बादरिराह ह्येवम् ॐ ॥ 10-551 ॥
  496. ॐ अर्चिरादिना तत्प्रथितेः ॐ ॥ 01-526 ॥
  497. ॐ अविभागेन दृष्टत्वात् ॐ ॥ 04-545 ॥
  498. ॐ अविभागो वचनात् ॐ ॥ 16-519 ॥
  499. ॐ अस्यैव चोपपत्तेरूष्मा ॐ ॥ 11-514 ॥
  500. ॐ आ प्रायणात् तत्रापि हि दृष्टम् ॐ ॥ 12-496 ॥
  501. ॐ आतिवाहिकस्तल्लिङ्गात् ॐ ॥ 04-529 ॥
  502. ॐ आत्मा प्रकरणात् ॐ ॥ 03-544 ॥
  503. ॐ आत्मेति तूपगच्छन्ति ग्राहयन्ति च ॐ ॥ 03-487 ॥
  504. ॐ आदित्यादिमतयश्चाङ्ग उपपत्तेः ॐ ॥ 06-490 ॥
  505. ॐ आवृत्तिरसकृदुपदेशात् ॐ ॥ 01-485 ॥
  506. ॐ आसीनः सम्भवात् ॐ ॥ 07-491 ॥
  507. ॐ इतरस्याप्येवमसंश्लेषः पाते तु ॐ ॥ 14-498 ॥
  508. ॐ उभयव्यामोहत् तत्सिद्धेः ॐ॥ 05-530 ॥
  509. ॐ एवमप्युपन्यासात् पूर्वभावादविरोधं बादरायणः ॐ ॥07-548॥
  510. ॐ कार्यं बादरिरस्यगत्युपपत्तेः ॐ ॥ 07-532 ॥
  511. ॐ कार्यात्यये तदध्यक्षेण सहातः परमभिधानात् ॐ॥ 10-535 ॥
  512. ॐ चितिमात्रेण तदात्मकत्वादित्यौडुलोमिः ॐ ॥ 06-547 ॥
  513. ॐ जगद्व्यापारवर्जम् ॐ ॥ 17-558 ॥
  514. ॐ तटितोऽधिवरुणः सम्बन्धात् ॐ ॥ 03-528 ॥
  515. ॐ तदधिगम उत्तरपूर्वाघयोरश्लेषविनाशौ तद्व्यपदेशात् ॐ ॥13-497 ॥
  516. ॐ तदपीतेः संसारव्यपदेशात् ॐ ॥ 08-511 ॥
  517. ॐ तदोकोऽग्रज्वलनं तत्प्रकाशितद्वारो विद्यासामर्थ्यात् तच्छेषगत्यनुस्मृतियोगाच्च हार्दानुगृहीतः शताधिकया ॐ ॥ 17-520 ॥
  518. ॐ तन्मनः प्राण उत्तरात् ॐ ॥ 03-506 ॥
  519. ॐ तन्वभावे सन्ध्यवदुपपत्तेः ॐ ॥ 13-554 ॥
  520. ॐ तानि परे तथा ह्याह ॐ ॥ 15-518 ॥
  521. ॐ दर्शनाच्च ॐ ॥ 13-538 ॥
  522. ॐ द्वादशाहवदुभयविधं बादरायणोऽतः ॐ ॥ 12-553 ॥
  523. ॐ ध्यानाच्च ॐ ॥ 08-492 ॥
  524. ॐ न च कार्ये प्रतिपत्त्यभिसन्धिः ॐ ॥ 14-539 ॥
  525. ॐ न प्रतीके न हि सः ॐ ॥ 04-488 ॥
  526. ॐ निशि नेति चेन्न सम्बन्धात् ॐ ॥ 19-522 ॥
  527. ॐ नैकस्मिन् दर्शयतो हि ॐ ॥ 06-509 ॥
  528. ॐ नोपमर्देनातः ॐ ॥ 10-513 ॥
  529. ॐ परं जैमिनिर्मुख्यत्वात् ॐ ॥ 12-537 ॥
  530. ॐ प्रकरणादसन्निहितत्वाच्च ॐ ॥ 18-559 ॥
  531. ॐ प्रतिषेधादिति चेन्न शारीरात् ॐ ॥ 12-515 ॥
  532. ॐ प्रत्यक्षोपदेशादिति चेन्नाधिकारिकमण्डलस्थोक्तेः ॐ ॥ 19-560 ॥
  533. ॐ प्रदीपवदावेशस्तथा हि दर्शयति ॐ ॥ 15-556 ॥
  534. ॐ ब्रह्मदृष्टिरुत्कर्षात् ॐ ॥ 05-489 ॥
  535. ॐ ब्राह्मेण जैमिनिरुपन्यासादिभ्यः ॐ ॥ 05-546 ॥
  536. ॐ भावं जैमिनिर्विकल्पाम्नानात् ॐ ॥ 11-552 ॥
  537. ॐ भावे जाग्रद्वत् ॐ ॥ 14-555 ॥
  538. ॐ भूतेषु तच्छ्रुतेः ॐ ॥ 05-508 ॥
  539. ॐ भोगमात्रसाम्यलिङ्गाच्च ॐ ॥ 22-563 ॥
  540. ॐ भोगेन त्वितरे क्षपयित्वाऽथ सम्पत्स्यते ॐ ॥ 19-503 ॥
  541. ॐ मुक्तः प्रतिज्ञानात् ॐ ॥ 02-543 ॥
  542. ॐ यत्रैकाग्रता तत्रा विशेषात् ॐ ॥ 11-495 ॥
  543. ॐ यदेव विद्ययेति हि ॐ ॥ 18-502 ॥
  544. ॐ यावद्देहभावित्वाद्दर्शयति च ॐ ॥ 20-523 ॥
  545. ॐ योगिनः प्रति स्मर्येते स्मार्ते चैते ॐ ॥ 22-525 ॥
  546. ॐ रश्म्यनुसारी ॐ ॥ 18-521 ॥
  547. ॐ लिङ्गाच्च ॐ ॥ 02-486 ॥
  548. ॐ वाङ्मनसि दर्शनाच्छब्दाच्च ॐ ॥ 01-504 ॥
  549. ॐ वायुशब्दादविशेषविशेषाभ्याम् ॐ ॥ 02-527 ॥
  550. ॐ विकारावर्ति च तथाहि दर्शयति ॐ ॥ 20-561 ॥
  551. ॐ विशेषं च दर्शयति ॐ ॥ 16-541 ॥
  552. ॐ विशेषितत्वाच्च ॐ ॥ 08-533 ॥
  553. ॐ वैद्युतेनैव ततस्तच्छ्रुतेः ॐ ॥ 06-531 ॥
  554. ॐ सङ्कल्पादेव च तच्च्रुतेः ॐ ॥ 08-549 ॥
  555. ॐ समना चासृत्युपक्रमादमृतत्वं चानुपोष्य ॐ ॥ 07-510 ॥
  556. ॐ सम्पद्याविहाय स्वेन शब्दात् ॐ ॥ 01-542 ॥
  557. ॐ सामीप्यात्तुतद्व्यपदेशः ॐ ॥ 09-534 ॥
  558. ॐ सूक्ष्मं प्रमाणतश्च तथोपलब्देः ॐ ॥ 09-512 ॥
  559. ॐ सोऽध्यक्षे तदुपगमादिभ्यः ॐ ॥ 04-507 ॥
  560. ॐ स्पष्टो ह्येकेषाम् ॐ ॥ 13-516 ॥
  561. ॐ स्मरन्ति च ॐ ॥ 10-494 ॥
  562. ॐ स्मर्यते च ॐ ॥ 14-517 ॥
  563. ॐ स्मृतेश्च ॐ ॥ 11-536 ॥
  564. ॐ स्वाप्यायसम्पत्त्योरन्यतरापेक्षमाविष्कृतं हि ॐ ॥ 16-557 ॥